
ओज और आक्रोश के बुलंद तेवर विनीत चोहान द्वारा आशीष:
कोई सौरभ जैसा 'सुमन' हो और उसकी "सौरभ" "अम्बर" तक ना फैले यह असंभव है। सुमन अपनी खुशबू बिखेरते समय किसी का नाम नही पूछता। कोई अनामिका स्वयम उस सौरभ के गंध पाकर प्रेम के अम्बर की ऊचाइयाँ छो ले तो इसमे आश्चर्य कैसा? मेरे प्रिय सौरभ और अनामिका ने प्रकृति के इस मूल धर्म का पालन किया है।
मेरे ह्रदय के अंतस की गहराइयों से उन्हें भावी जीवन की ढेर सारी शुभकामनाये।
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