
काव्य मंचो के शिखर पुरुष कवि सुरेन्द्र शर्मा का आशीर्वाद उन्ही के अंदाज मे:
"सौरभ" रहे सुमन का यूं, "अम्बर" तक रहे खुलापन।
एक-दूजे के लिए जियें, नित गहराए अपनापन॥
बढ़ता रहे समर्पण इनका, तृप्ति सदा ये पाएं।
खुशियों की बारिश मे भीगे, प्रेम सुधा बरसायें॥
"सुमन का सौरभ, अम्बर को महकाए।
अनामिका को कभी अंगूठा ना दिखलाये।"
-कवि सुरेन्द्र शर्मा.
3 comments:
वाह!क्या काव्यात्मक आशिर्वाद हॆ,मान गये शर्मा जी.
its really nice wishes by
Mr. SURENDRA SHARMA ..............
congratz for yur Marriage ..
its my wishes to both of you will be happy forever.........
Please ek mare liye likh dijiye Kavita, Mera name Swati Mundra and boy vaibhav sarda, 17 January ki h shadi
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