हिन्दी कव्य-मन्चों का बेहद लाडला जोडा

हिंदी कवि-सम्मेलानीय क्षेत्र में सौरभ सुमन और अनामिका अम्बर को केवल श्रोताओ का ही नहीं वरन कवियों का भी असीम स्नेह प्राप्त हुआ है. गत 15 दिसम्बर 2006 को ये दोनों काव्य-आत्माये एक हुई. ओज और श्रृंगार के इस मिलन को हिंदी के सभी विद्वानों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ. विवाह के निमंत्रण पत्र में अंकित ख्याति लब्ध कवियों के रचनाओ ने उस निमंत्रण-पत्र को अमर कर दिया. आइये देखते हैं दोनों को कवियों ने किस अंदाज में अपना स्नेह दिया है:

Saturday, May 10, 2008

हास्य शिखर कवि सुरेन्द्र शर्मा जी द्वारा आशीष:


काव्य मंचो के शिखर पुरुष कवि सुरेन्द्र शर्मा का आशीर्वाद उन्ही के अंदाज मे:


"सौरभ" रहे सुमन का यूं, "अम्बर" तक रहे खुलापन।
एक-दूजे के लिए जियें, नित गहराए अपनापन॥
बढ़ता रहे समर्पण इनका, तृप्ति सदा ये पाएं।
खुशियों की बारिश मे भीगे, प्रेम सुधा बरसायें॥


"सुमन का सौरभ, अम्बर को महकाए।
अनामिका को कभी अंगूठा ना दिखलाये।"

-कवि सुरेन्द्र शर्मा.

ओज के विख्यात कवि विनीत चोहान द्वारा:


ओज और आक्रोश के बुलंद तेवर विनीत चोहान द्वारा आशीष:

कोई सौरभ जैसा 'सुमन' हो और उसकी "सौरभ" "अम्बर" तक ना फैले यह असंभव है। सुमन अपनी खुशबू बिखेरते समय किसी का नाम नही पूछता। कोई अनामिका स्वयम उस सौरभ के गंध पाकर प्रेम के अम्बर की ऊचाइयाँ छो ले तो इसमे आश्चर्य कैसा? मेरे प्रिय सौरभ और अनामिका ने प्रकृति के इस मूल धर्म का पालन किया है।

मेरे ह्रदय के अंतस की गहराइयों से उन्हें भावी जीवन की ढेर सारी शुभकामनाये।

फिल्मी गीतकार एवं काव्य-मंचो के सुप्रसिद्ध कवि श्री संतोशानंद जी.

जिंदगी की न टूटे लड़ी, प्यार करले घडी दो घडी, एक प्यार का नगमा है मौजो की रवानी है, आदि अमर गीतों के रचियता श्री संतोशानंद द्वारा आशीष:


१५ दिसम्बर एक शुभ दिन है। एक कवि एवं एक कवित्री का मिलन। इस सुगन्धित वातावरण की खुशबू चारो ओर फैले ये मेरी शुभकामना है। सौरभ और अनामिका काफी समय से दूर-दूर से एक-दुसरे को देख राहे थे। कभी कोई एक दिशा मी चला जाता था तो कभी कोई दूसरी दिशा मे। दोनों के मन सुमन हैं। उनमे से सौरभ उठा है, उन्ही मे से अनामिका को एक नाम मिल रहा है। इसे भारतीय संस्कृति मे वैवाहिक सूत्र बन्धन कहा जाता है। मेरा आशीर्वाद है इन दोनों का ये बन्धन जन्म-जन्मांतर तक चलता रहे


-कवि संतोशानंद

hasya कवि प्रवीण शुक्ल द्वारा:


विख्यात हास्य कवि प्रवीण शुक्ल द्वारा:


शुक्रवार तिथि पंद्रह, और दिसम्बर मास।
'सौरभ' को इस दिन मिले उसका 'अम्बर' खास॥
उसका 'अम्बर' खास, सुमन की खुशबू महके।
'अनामिका' के मन मे हरदम खुशियाँ चहके॥
इनके आँगन मे रहे, सदा खुशी आह्लाद।
शुभ-विवाह के पर्व पर, मेरा आशीर्वाद॥

-कवि प्रवीण शुक्ल

प्रसिद्ध गीतकार डॉ. विष्णु सक्सेना की कलम से:


काव्य-मंचो पर अपने गीतों के माध्यम से आकाश को छूने वाले डॉ विष्णु सक्सेना द्वारा:

परिणय की बगिया सजी, खिले सुमन चहु ओर।
'सौरभ' संग 'अनामिका', बंधे प्रेम की डोर।।
एक कविता मे आग है, एक कविता मे पीर।
एक दूजे के प्यार से, सवरेगी तकदीर॥
कर्तव्यों की तूलिका, जीवन का कैनवास।
इनके आँगन मे सदा, उड़ती राहे सुवास॥
इन दोनों के शीश पर, रख दें अपना हाथ।
आकर इनको भेंट दें, बस इतनी सौगात॥
-डॉ विष्णु सक्सेना


ओम प्रकाश आदित्य जी द्वारा स्नेह


हास्य के कीर्ति-स्तंभ कवि ओम प्रकाश आदित्य जी के कलम से:
सौरभ सुमन-अनामिका अम्बर का पुनीत गठ-बन्धन।
गंध-पुष्प का मिलन, मिले रोली से जैसे चन्दन।
छंद और कविता के स्वर का सदा रहे लय-संगम।
जीवन के सितार से गुंजित, रहे सर्वप्रिय सरगम।
रहे बसंत सदा पग-पग पर, पल-पल यूं मुस्काये।
जैसे कृष्ण बांसुरी की धुन पे , राधा का ह्रदय रिझाये।
आजीवन इनकी सांसो मे हो योवन स्पंदन।
इनके स्वर के इस बन्धन का, है शत-शत अभिनन्दन।
सोने से दिन हों इनके, चांदी जैसी राते।
सौ बसंत तक रहे देखते, नित नूतन बरसाते।
सौरभ सुरभित रहे, स्वस्ति-मय अनामिका कल्याणी।
महावीर भगवान की घर-आँगन मे गूंजे वाणी।
-ओम प्रकाश आदित्य.

मंचो के जादूगर कवि डॉ. कुमार विश्वास द्वारा


हिन्दी कवि सम्मेलनों के विख्यात मंच-संचालक एवं गीतकार डॉ कुमार विश्वास के कलम से:

अम्बर ने पूर्ण विराम दिया, सौरभ के चयन प्रबंधों को।
बुन्देल-खंड का भार मिला, कुरु-कुल के सक्षम कंधो को॥
स्वर-अम्बर, शब्द-सुमन के इस परिणय का है भावार्थ यही।
बेतवा नदी की धार मिली, गंगा-जल के तट-बंधो को॥
जब तक अम्बर में सौरभ है, जब तक यह सुमनित धरा रहे।
हे अनुज! तुम्हारी क्षमता का, तूणीर हमेशा भरा रहे॥
मैं शब्द साधको के कुल का हूँ, ज्येष्ठ तुम्हारा पिता तुल्य।
हे अनुज वधू! आशीष तुम्हे, सिंदूर हमेशा हरा रहे॥

-डॉक्टर कुमार विश्वास

Anamika, Saurabh, Lucky

Anamika, Saurabh, Lucky
Kavitri Anamika Ambar, Kavi Saurabh Suman & Singer Lucky Ali